खास बातें
Durga Puja Ashtami Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Mantra, Color of the Day : आज शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। इसे दुर्गाष्टमी और महा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के आठवें दिन मां शक्ति के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा का विधान होता है और इस दिन कन्या पूजन किया जाता है। जिसमें 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष की आयु की कन्या को घर पर बुलाकर उनका स्वागत और पूजा की जाती है। नवरात्रि के पर्व पर दुर्गा अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है।
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इन उपायों से प्रसन्न होंगी माता रानी
मनोकामना पूर्ति के लिए करें मां दुर्गा की ये आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
नवमी के दिन जरूर करें हवन
नवरात्रि हवन-सामग्री
हवन कुंड, आम की लकड़ी, चावल, जौ, कलावा, शक्कर, गाय का घी, पान का पत्ता, काला तिल, सूखा नारियल, लौंग, इलायची, कपूर, बताशा आदि।
हवन की विधि
सबसे पहले हवन कुंड को गंगाजल से शुद्ध कर लें। हवन कुंड के चारों तरफ कलावा बांध दें। इसके बाद उस पर स्वास्तिक बनाकर पूजा करें. फिर बाद हवन कुंड पर अक्षत, फूल और चंदन आदि अर्पित करें। इसके बाद हवन सामग्री तैयार कर लें। इसमें घी, शक्कर, चावल और कपूर डालें। फिर हवन कुंड में पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा की ओर 4 आम की लकड़ी रखें।
फिर इसके बीच में पान का पत्ता रखकर उस पर कपूर, लौंग, इलायची, बताशा आदि रखें. इसके बाद हवन कुंड में आम की लकड़ियां रखकर अग्नि प्रज्वलित करें। अब मंत्र बोलते हुए हवन सामग्री से अग्नि में आहुति दें। हवन संपूर्ण होने के बाद 9 कन्याओं की पूजा कर उन्हें भोजन कराएं। इसके बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। फिर कन्याओं को दक्षिणा या उपहार देकर श्रद्धापूर्वक विदा करें।
नवरात्रि हवन-सामग्री
हवन कुंड, आम की लकड़ी, चावल, जौ, कलावा, शक्कर, गाय का घी, पान का पत्ता, काला तिल, सूखा नारियल, लौंग, इलायची, कपूर, बताशा आदि।
हवन की विधि
सबसे पहले हवन कुंड को गंगाजल से शुद्ध कर लें। हवन कुंड के चारों तरफ कलावा बांध दें। इसके बाद उस पर स्वास्तिक बनाकर पूजा करें. फिर बाद हवन कुंड पर अक्षत, फूल और चंदन आदि अर्पित करें। इसके बाद हवन सामग्री तैयार कर लें। इसमें घी, शक्कर, चावल और कपूर डालें। फिर हवन कुंड में पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा की ओर 4 आम की लकड़ी रखें।
फिर इसके बीच में पान का पत्ता रखकर उस पर कपूर, लौंग, इलायची, बताशा आदि रखें. इसके बाद हवन कुंड में आम की लकड़ियां रखकर अग्नि प्रज्वलित करें। अब मंत्र बोलते हुए हवन सामग्री से अग्नि में आहुति दें। हवन संपूर्ण होने के बाद 9 कन्याओं की पूजा कर उन्हें भोजन कराएं। इसके बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। फिर कन्याओं को दक्षिणा या उपहार देकर श्रद्धापूर्वक विदा करें।